ऐसे हीं एक मीटिंग में जब उनसे उनकी राय पूछ गई तो उनका कहना था कि “ यह महारानी जो कहेगी वही होगा ” ।
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यदि यह महारानी के लिए है, जो सचमुच है तो सभी जगह स्त्रीलिंग क्रिया प्रयुक्त होनी चाहिए! करती,होती,लगती अन्य-क्षात्र=छात्र,भ्रह्मचर्य=ब्रह्मचर्य,भाग्न्ह्रिदया=भग्न हृदया,क्षात्रावास=छात्रावास,
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उसने उन आभूषणों को मंगवाकर रामचन्द्र के सामने रख दिया और बोला-आप इन आभूषणों को देखकर पहचानिये कि यह महारानी सीता के तो नहीं हैं?
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बंद को मार डाला सम्राट के अन्य पसंदीदा रखैल, और साम्राज्ञी से छुटकारा पाने के, वह उसे अपने शिशु बेटी की हत्या कर दी और यह महारानी वांग को दोषी ठहराया.
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बंद को मार डाला सम्राट के अन्य पसंदीदा रखैल, और महारानी से छुटकारा पाने के, वह अपने खुद के शिशु बेटी की हत्या कर दी और यह महारानी वांग को दोषी ठहराया.
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मैंने घर में झाडू लगाई, पूजा के बासन धोए, तोते को चारा खिलाया, गाय खोली, उसका गोबर उठाया, और यह महारानी अभी पांच सेर गेहूँ लिये जांत पर औंघ रही हैं।
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यह महारानी विक्टोरिया का अनोखा का तरीका था जिससे उन्होंने अपने अतिथि की लाज रखी तथा उन्हें किसी शराम्नक परिस्तिथि में पड़ने से रोका | यह एक ऐसी कला है, जो सिर्फ एक अच्छे शासक में ही हो सकती है |
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यदि यह महारानी के लिए है, जो सचमुच है तो सभी जगह स्त्रीलिंग क्रिया प्रयुक्त होनी चाहिए! करती, होती, लगती अन्य-क्षात्र = छात्र, भ्रह्मचर्य = ब्रह्मचर्य, भाग्न्ह्रिदया = भग्न हृदया, क्षात्रावास = छात्रावास, हविश्याग्नि = हविष्याग्नि, सपथ = शपथ, चित्कार = चीत्कार, विछिप्त = विक्षिप्त, विसुद्ध = विशुद्ध, अन्वेश्नोपरांत = अन्वेषणोंपरांत
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=करता ' दूसरा पैरा “एक पल को दर्पण के सम्मुख बैठ वह विभिन्न प्रकार से अपना श्रृंगार करता, अपनी ही छवि पर मुग्ध होता पर अगले ही पल विवेक जैसे ही उसे झकझोरता उस के अट्टहास पर वह स्वयं को दण्डित करने लगता.”यदि यह महारानी के लिए है,जो सचमुच है तो सभी जगह स्त्रीलिंग क्रिया प्रयुक्त होनी चाहिए! करती,होती,लगती अन्य-क्षात्र=छात्र,भ्रह्मचर्य=ब्रह्मचर्य,भाग्न्ह्रिदया=भग्न हृदया,क्षात्रावास=छात्रावास,