इसी संदर्भ में इस बार जहाँ हम एक शोध (कहानी का रंगमंच और नाट्य रूपांतरण) की चर्चा कर रहे है वहीं एक-एक यात्रावृत्तांत (यात्राक्रम) तथा साक्षात्कार / भेंटवार्ता (सुर्ख़ियों में लोग) से भी पाठकों को परिचित कराना चाहते हैं।
12.
हिन्दी भाषा का यात्राक्रम (कालक्रमानुसार) जो कि साहित्य को मानक मान कर निश्चित किया गया, का प्रवृत्यात्मक विवरण दिए वगैर इस भाषा के वर्तमान स्वरूप का मूल्यांकन सम्भव नहीं है और किसी भी भाषा के समस्त साहित्य, जो कि अस्त-व्यस्त हों, का सम्यक् अध्ययन करके उस भाषा को परिष्कृत करना और धनी बनाना अत्यन्त ही समस्यापूर्ण, दुष्कर कृत्य है।