यादृच्छ रूप से लिये गये एक दिनांक 6 जून 2008 के आसपास की प्रविष्टियों को देखिये तो विविधता और पराश का अनुमान लग जाता है:
12.
महानगर निद्रा में था, जिसके सपनों का अनुमान मैं ट्रैफिक ध्वनियों की यादृच्छ भटकन से लगा रहा था-ऐसे नगर सोते भी हैं? और तुम आये।
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ऐसा क्यों नहीं सोचते कि राह दर राह फुदकते हुये ढेरों लोग यादृच्छ ही अस्थायी संतुलन बनाते बिगाड़ते रहते हैं और एक एक कर मरते जाते हैं।
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महानगर निद्रा में था, जिसके सपनों का अनुमान मैं ट्रैफिक ध्वनियों की यादृच्छ भटकन से लगा रहा था-ऐसे नगर सोते भी हैं? और तुम आये।
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एक भिखारी ने अनुचित किया तो तुम उसकी सजा पूरे समाज को दोगे...अगर एक यादृच्छ चयन तुम्हारे निर्णय का आधार है तो तुमने जो भद्दा मजाक किया है उससे पूरे सभ्य-समाज की पहचान की जानी चाहिए?
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सम्भवत: वह हर इंजीनियर के भीतर छिपे 'लंठ' को भूल गये हैं!:) यादृच्छ रूप से लिये गये एक दिनांक 6 जून 2008 के आसपास की प्रविष्टियों को देखिये तो विविधता और पराश का अनुमान लग जाता है:
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अगर एक यादृच्छ चयन तुम्हारे निर्णय का आधार है तो तुमने जो भद्दा मजाक किया है उससे पूरे सभ्य-समाज की पहचान की जानी चाहिए? क्या यह समझा जाए कि इस गाँव के लोग विष-मिला खाद्य भिखारियों को देते हैं...