अपनी पुस्तक कुण्डलिनी अवेकनिंग, ए जेंटल गाइड टु चक्र एक्टिवेशन एंड स्पिरिचुअल ग्रोथ में उन्होंने “रिलैक्सेसिया” शीर्षक से एक अद्वितीय प्राचीन पाण्डुलिपि प्रस्तुत की है, जिसमें बताया गया है कि एक सौर कुंडलिनी प्रतिमान मानव चक्र प्रणाली और सौर प्रकाश तरंग की प्राचीन विधा है, जो अपनी रंग-संकेतयुक्त चक्र रंगसाजी के माध्यम से कुंडलिनी को सक्रिय करती है.
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पिंकी नानावाटी के काम में क्योंकि वे दुनिया घूमी है और उम्र का तजर्बा भी उन्हें ज्यादा हासिल है तो मुझे जरा भी हैरानी नहीं हुई कि उनका ब्रश लगातार जीवन की जटिलताओं परेशानियों मन के जालों और उहापोहों को उकेरता चलता है … एक नई दुनिया … एक अज्ञात … एक अतींद्रिय सत्ता के लिए तड़प और उसी में सुख की लालसा के प्रबल संकेत हमें उनकी लग्रभग हर पेंटिंग में मिलते हैं कुदरत के साथ एकमेक होकर उनका अलग फॉर्म में खिलना और लगातार खिलते जाना उनकी रंगसाजी को बहुत गहरा बनाता है.