इतना ही नहीं, परिशिष्ट में डॉ. विद्यानिवास मिश्र के रंग संबंधी दो निबंधों ‘छायातप' और ‘रंगबिरंग' तथा वास्तुविचार में रंगों की भूमिका से संबंधित सामग्री के साथ डॉ. रघुवीर के कोश (ए कम्प्रेहेंसिव इंग्लिश हिंदी डिक्शनरी आफ गवर्नमेंटल एंड एजूकेशन वर्ड्स एण्ड फ्रेजिस (1955) के रंग संबंधी खंड की अविकल प्रस्तुति भी इस पुस्तक को संग्रहणीय और संदर्भयोग्य पुस्तक बनाने में समर्थ है।
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इतना ही नहीं, परिशिष्ट में डॉ. विद्यानिवास मिश्र के रंग संबंधी दो निबंधों ' छायातप ‘ और ' रंगबिरंग ‘ तथा वास्तुविचार में रंगों की भूमिका से संबंधित सामग्री के साथ डॉ. रघुवीर के कोश (ए कंप्रेहेंसिव इंग्लिश हिंदी डिक्शनरी आफ गवर्नमेंटल एंड एजूकेशन वड्र्स एण्ड फ्रेजिस, (१ ९ ५५) के रंग संबंधी खंड की अविकल प्रस्तुति भी इस पुस्तक को संग्रहणीय और संदर्भयोग्य पुस्तक बनाने में समर्थ है।
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इतना ही नहीं, परिशिष्ट में डॉ. विद्यानिवास मिश्र के रंग संबंधी दो निबंधों ' छायातप ‘ और ' रंगबिरंग ‘ तथा वास्तुविचार में रंगों की भूमिका से संबंधित सामग्री के साथ डॉ. रघुवीर के कोश (ए कंप्रेहेंसिव इंग्लिश हिंदी डिक्शनरी आफ गवर्नमेंटल एंड एजूकेशन वड्र्स एण्ड फ्रेजिस, (१ ९ ५५) के रंग संबंधी खंड की अविकल प्रस्तुति भी इस पुस्तक को संग्रहणीय और संदर्भयोग्य पुस्तक बनाने में समर्थ है।