रंजकहीनता एक दुर्लभ ऑटोसोमल रिसेसिव इनहेरिटेड विकार है जिसमें मेलेनोसाइट्स उपस्थित होता हैं लेकिन मेलेनिन नहीं बनाते (पदार्थ जो त्वचा को रंगता है) ।
12.
रंजकहीनता रोग में स्त्री-पुरुष में से कोई शुद्ध अप्रभावी जीन वाला रंजकहीन तथा दूसरा संकर जीनों वाला होने पर आधी संतानें रंजकहीन होती हैं अर्थात् उनकी त्वचा सफेद और पुतलियां गुलाबी होती हैं, एल्केप्टोनूरिया के रोगी का मूत्र हवा लगने पर काला पड़ जाता है और उसे पुश्तैनी गठिया रोग हो जाता है।