इसके बीज उष्ण, कड़वे, कृमिनाशक, खून शोधक, रक्तवर्धक एवं दिमाग तथा नेत्र रोगों में लाभ देने वाले होते हैं।
12.
पुनर्नवा का अभिप्राय है यह है कि जो रसायन व रक्तवर्धक होने से शरीर को फिर से नया जैसा बना दे, उसे पुनर्ववा कहते हैं।
13.
लशुन दोषों का उत्सारक, मेधा का प्रसारक, निर्बलता का संहारक, कफ़ का छेदक, वात का भेदक, भग्न अस्थियों का संमेलक, रक्तवर्धक तथा पित्त का प्रेरक है ।
14.
गाय का दूध स्वादिष्ट, स्निग्ध, सुपाच्य, मधुर, शीतल, रूचिकर, बल, बुद्धि व स्मृति तथा रक्तवर्धक, आयुष्यकारक एवं जीवनीय गुणदायक है।
15.
↑ ' पुनः पुनर्नवा भवति' जो फिर से प्रतिवर्ष नवीन हो जाए अथवा 'शरीरं पुनर्नवं करोति' जो रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना दे, उसे पुनर्नवा कहते हैं।
16.
लशुन दोषों का उत्सारक, मेधा का प्रसारक, निर्बलता का संहारक, कफ़ का छेदक, वात का भेदक, भग्न अस्थियों का संमेलक, रक्तवर्धक तथा पित्त का प्रेरक है ।
17.
अंगूर, पालक, टमाटर, के अतिरिक्त आंवला, पीपर, गाजर, चुकंदर, बथुआ, चौलाई, मेथी, अनार, मूली की पत्तियां, सेब, संतरा आदि सभी रक्तवर्धक हैं।
18.
' पुनः पुनर्नवा भवति ' जो फिर से प्रतिवर्ष नवीन हो जाए अथवा ' शरीरं पुनर्नवं करोति ' जो रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना दे, उसे पुनर्नवा कहते हैं ।
19.
१) गाजर का हलवा: गाजर में लौह तत्व व विटामिन ‘ ए ' काफी मात्र में पाये जाते है | यह वायुशामक, ह्रदय व मस्तिष्क की नस-के लिए बलप्रद, रक्तवर्धक व नेत्रों के लिए लाभदायी है |
20.
आयुर्वेद ग्रंथ ' भावप्रकाश ' के मुताबिक-' लहसुन वृष्य स्निग्ध, ऊष्णवीर्य, पाचक, सारक, रस विपाक में कटु तथा मधुर रस युक्त, तीक्ष्ण भग्नसंधानक (टूटी हड्डी जोड़ने वाला), पित्त एवं रक्तवर्धक, शरीर में बल, मेधाशक्ति तथा आँखों के लिए हितकर रसायन है।