अब साथ ही मैं यह भी बताना चाहूँगा कि जिस किसी भी अत्यधिक पढ़े लिखे व्यक्तियों (???) को समुद्र मंथन की घटना काल्पनिक लगती हो वे बिहार राज्य के भागलपुर में स्थित “ मंदारहिल ” पर्वत को जा कर देख सकते हैं जो आज भी मौजूद है और उस पर समुद्र मंथन के दौरान हुए रस्सी के (शेषनाग) रगड़ के निशान अभी तक मौजूद हैं |
12.
आज वह पांच दिन बाद मेरे पास वापिस लौटा था-बता रहा था कि यह देखो कि हाथ कितने साफ़ कर लिये हैं-कुछ दिन पहले उस के हाथों पर तंबाकू की रगड़ के निशान गायब थे, (काश, शरीर के अंदरूनी हिस्सों में तंबाकू के द्रारा की गई विनाश-लीला भी यूं ही धो दी जा सकती!!) …. वह बता रहा था कि पांच दिन हो गये हैं तंबाकू की तरफ़ देखे हुये भी।
13.
वह हिचकिचाते हुए मंच तक आया उसके कोट और पैंट पर शहर की रगड़ के निशान थे वह कुछ परेशान-सा था लेकिन सुनाना चाहता था अपनी कविता लगभग हकलाते हुए शुरू किया उसने कविता का पाठ मगर मुझे उसकी हकलाहट में एक हिचकिचाहट सुनाई दी एक ऐसी हिचकिचाहट जो इस वक् त में दुनिया से बात करते हुए किसी भी संवेदनशील आदमी को हो सकती है लेकिन उसने अपनी कविता में वह सब कहा जो एक कवि को आखिर कहना ही चाहिए