” समस्या यह है कि अधिनायकवाद के बिना समाजवाद और संसदीय लोकतंत्र के साथ राजकीय समाजवाद कैसे रहे।
12.
अम्बेडकर ने राजकीय समाजवाद की बात की थी, जो दिखलाता है कि वह भी समाजवाद के पक्षधर थे।
13.
राजकीय समाजवाद ' की योजना से विस्मयीभूत दिखाई देते हैं जिसका कि समाजवाद से कुछ भी लेना-देना नहीं था!
14.
राजकीय समाजवाद की कल्पना भी उनकी इसी सोच से उपजी थी कि राज्य ही वंचितों के अधिकारों व सुरक्षा को स्थापित कर सकता है।
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डॉ. तुलसीराम ने कहा कि अम्बेडकर ने राजकीय पूँजीवाद के रूप में जो आर्थिक मॉडल दिया वह रूस में मौजूद राजकीय समाजवाद से कम प्रगतिशील नहीं था।
16.
मायावती डा. अंबेडर की मूर्तियां लगाने का अभियान जरूर चला रही हैं लेकिन उनके विचारों के अनुरूप राजकीय समाजवाद या तानाशाही विहीन साम्यवाद की वे कतई प्रशंसक नहीं लगतीं।
17.
इंका प्रशासन के सम्बन्ध में विद्वानों का ऐसा मत है कि उनके राज्य में वास्तविक राजकीय समाजवाद (स्टेट सोशियलिज्म) था तथा सरकारी कर्मचारियों का चरित्र अत्यंत उज्वल था।
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मायावती डा. अंबेडर की मूर्तियां लगाने का अभियान जरूर चला रही हैं लेकिन उनके विचारों के अनुरूप राजकीय समाजवाद या तानाशाही विहीन साम्यवाद की वे कतई प्रशंसक नहीं लगतीं।
19.
राजकीय समाजवाद के नाम पर अम्बेडकर की जो आर्थिक नीति थी (देखिए, संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत उनके प्रस्ताव), वह फेबियन समाजवादी भी नहीं थी।
20.
इसका केवल यही हल दिखता है कि संसदीय लोकतंत्र और संवैधानिक कानूनों द्वारा राजकीय समाजवाद अपनाया जाये जिसे संसदीय बहुमत द्वारा निलंबित, संशोधित अथवा समापित करना असंभव होगा।