लेकिन, हालिया रुख से पता चलता है कि स्विट्जरलैंड अब भी बड़ी मात्रा में विदेशी धन आकर्षित कर रहा है जिससे स्विस फ्रैंक और इसके बैंकों की सेहत काफी अच्छी हो गई है, जबकि अन्य औद्योगिक देश भारी राजकोषीय संकट का सामना कर रहे हैं।
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जब वर्ष 2011 की शुरुआत हुई थी तो आर्थिक उपलब्धियों की बड़ी संभावनाएँ अनुमानित की जा रही थीं, लेकिन वैश्विक स्तर पर अमेरिका के राजकोषीय संकट और योरपीय देशों के ऋण संकट से आगे बढ़ी दोहरी मंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में चिंता का दौर पैदा कर दिया।
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साल के शुरू में आर्थिक उपलब्धियों की उजली संभावनाएं अनुमानित की जा रही थीं लेकिन वर्ष खत्म होते-होते वैिक स्तर पर अमेरिका के राजकोषीय संकट और यूरोपीय देशों के ऋण संकट से आगे बढ़ी दोहरी मंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में भी चिंता का दौर पैदा कर दिया।