लेकिन, आँकड़ों के इस तथ्यगत भूगोल से आह्लादित होने के अतिरिक्त यह भी देखना होगा कि इसमें से कितने प्रतिशत युवा ज्ञान के विभिन्न अनुशासनों में अव्वल हैं ; आचरण और व्यवहार में क्रियाशील हैं ; कल्पना, विचार और दृष्टि-चेतना में महŸवाकांक्षी हंै ; या कि उनमें राजनीतिक संचेतना और राजनीतिक समाजीकरण सम्बन्धी जुड़ाव और अभिव्यक्ति पर्याप्त है।
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राष्ट्र-निर्माण की तस्वीर में बंबइया और पूरबिया दरकनें-1 बंबई की हाल की घटनाओं ने जो चिंता देश के बुद्धिजीवियों और समझदार नागरिकों के मन में पैदा की है उससे उबरने के लिए कोरी राजनीतिक टीका-टिप्पणियों या तात्कालिक स्वार्थ के लिए आरोप-प्रत्यारोपों की नहीं बल्कि इन निंदनीय स्वार्थों से ऊपर उठकर कुछ कड़े साहसिक कदम और कुछ दूरगामी स्वस्थ राजनीतिक समाजीकरण के प्रयासों की ज़रूरत है.