1928 मे जब कलकक्ता में भारत के लिये स्वशासी राज्य पद की मांग के मुख्य प्रस्ताव को महात्मा गांधी ने प्रस्तावित किया।
12.
शुभ्ुभ्ुभ स्वप्न फल विचार ऋ स्वप्न में जिस पुरुष को अपने सिर पर घर जलता दिखाई दे, उसे राज्य पद मिलता है।
13.
दूसरी बात यह कि राज्य पद होने पर भोग के साधन सुलभ होते हैं पर अनेक सार्वजनिक दायित्व भी पूरे करने पड़ते हैं।
14.
आधुनिक लोकतंत्र ने पूरे विश्व में राजनीति शास्त्र की बजाय केवल नारे देने वालों को राज्य पद पर प्रतिष्ठित करना प्रारंभ किया है।
15.
सार्वजनिक रूप से राजसी कर्म करना यानि राज्य पद पर बैठकर समाज का संचालन करने से व्यक्ति की छवि व्यापक रूप से बनती है।
16.
दूसरी बात यह कि वह जिस राम राज्य की कल्पना का प्रचार करते थे उसके लिये भी उनको राज्य पद पर प्रतिष्ठित होना आवश्यक था।
17.
किसी राज्य पद को स्वीकार न करना त्याग माना जा सकता है पर उसके साथ जो जुड़े दायित्व हैं उनसे परे हटना इस श्रेणी में नहीं आता।
18.
1928 मे जब कलकक् ता में भारत के लिये स् वशासी राज्य पद की मांग के मुख् य प्रस् ताव को महात् मा गांधी ने प्रस् तावित किया।
19.
जब प्रजा में सामान्य मनुष्य अपना अहंकार, काम, क्रोध, लोभ तथा मोह नहीं छोड़ पाते तो उन्हें राज्य पद पर बैठे व्यक्ति से भी त्याग की आशा नहीं करना चाहिये।
20.
“ यही तो तुम्हारा भ्रम है | ” राजा ने कहा-“ मैंने तुम्हें बताया तो है कि यह राज्य पद मुझे मेरे पूर्व जन्म के कर्मफल के कारण मिला है | ”