यदि यही आलम रहा तो आने वाली पीढ़ी तो राष्ट्रीय कैलेंडर को पहचानेंगे ही नहीं.
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भारत के राष्ट्रीय कैलेंडर शक संवत की प्रथम तिथि ईस्वी सन् ७९ के वसंत विषुव से प्रारंभ होती है।
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भारत के राष्ट्रीय कैलेंडर शक संवत की प्रथम तिथि ईस्वी सन् ७९ के वसंत विषुव से प्रारंभ होती है।
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राष्ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित है, चैत्र इसका माह होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साथ 22 मार्च, 1957 से सामान्यत:
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हिन्दू नव वर्ष एवं भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर व विश्व में अन्य कई नव वर्ष इसी समय के निकट ही आरंभ हुआ करते हैं।
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राष्ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित है, चैत्र इसका माह होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साथ 22 मार्च, 1957 से सामान्यत:
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जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर ग्रेगेरियन कैलेंडर को ही सरकारी कामकाज हेतु उपयुक्त मानकर 22 मार्च 1957 को इसे राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
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किन्तु, तत्कालीन सरकार के आग्रह पर ग्रेगेरियन कैलेंडर को ही सरकारी कामकाज हेतु उपयुक्त मानकर 22 मार्च 1957 को इसे राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
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आजादी के बाद हमने परतंत्रता के बहुत से चिह्न हटाए, सड़कों के नामों का भारतीयकरण किया, पर संवत् और राष्ट्रीय कैलेंडर के विषय में हम सुविधावादी हो गए, हमें विस्मृति रोग ने जकड़ लिया।
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आजादी के बाद हमने परतंत्रता के बहुत से चिह्न हटाए, सड़कों के नामों का भारतीयकरण किया, पर संवत् और राष्ट्रीय कैलेंडर के विषय में हम सुविधावादी हो गए, हमें विस्मृति रोग ने जकड़ लिया।