आखिर अखबार कैसे प्रकाशित हो पाएंगे, जब उनके कर्मचारियों के वेतन असंतुलित ढंग से आकाश छूने लगेंगे? सरकार उस रिपोर्ट को भी भुला रही है जो राष्ट्रीय श्रम आयोग के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री रवींद्र वर्मा ने 2002 में दी थी।
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असंगठित मजदूर विषय से संबंधित अनेक व्यक्तियों से विचार-विमर्श और इस विषय पर गठित एक अध्ययन दल के सुझावों पर सोच-विचार के बाद राष्ट्रीय श्रम आयोग ने असंगठित मजदूरों के लिए छतरीनुमा कानून का प्रारूप सुझाया है, तथा अपनी रिपोर्ट में इस कानून के अनेक प्रावधानों की सिफारिश की है।