| 11. | जीत न कहँ न कतहँ रिपु ताकें।।
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| 12. | उससे सत्तर कोटि रिपु, मानों बढ़ कर नेक ॥
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| 13. | अतुल अलौकिक साहस दे दो रिपु मर्दक क्षत्राणी जननी
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| 14. | महाअजय संसार रिपु, जीति सकइ सो वीर ।
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| 15. | पर अम्ब तेरे पूत रिपु बने हैं,
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| 16. | रणभूमि में रिपु सैन्य सम्मुख वह सुभद्रा सुत बढ़ा।
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| 17. | रिपु के समाचार जब पाये, रामसचिव सब निकट बुलाये॥
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| 18. | सहज बयर बिसराइ रिपु जो सुनि करहि बखान ॥
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| 19. | सुर रिपु बरस, चंद्र रिपु युगवर, हरि रिपु कीन्हों घात।
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| 20. | सुर रिपु बरस, चंद्र रिपु युगवर, हरि रिपु कीन्हों घात।
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