विवादित स्थान पर रिसीवर की नियुक्ति के बाद से यह विवाद दीवानी अदालत में है जिसमें अयोध्या निवासी गोपाल सिंह विशारद 16 जनवरी 1950 का मुकदमा, राम चौक अयोध्या निवासी परमहंस रामचंद्र दास 5 दिसंबर 1950 का मुकदमा, अयोध्या स्थित निर्मोही अखाड़े के महंत का मुकदमा 17 दिसंबर 1959 एवं सुन्नी सैंट्रल वक्फ बोर्ड ल¹नऊ का मुकदमा 1961 एक साथ सुने जा रहे हैं।
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दोनों की एक साथ सुनवाई हो रही थी कि 23 जुलाई 1987 को न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ सिविल जज फैजाबाद ने नए रिसीवर की नियुक्ति के मसले पर दायर एक अपील पर 23 जुलाई 1987 को निर्णय दिया कि दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के तहत निचली अदालत में चल रहे चारों दावों को एक ऐसे अतिरिक्त जिला जज के सामने सुनवाई के लिए रखा जाए जिसका 18 माह तक स्थानांतरण न हो सके।