किंतु धीरे-धीरे उसका एक रूढ़ार्थ विकसित हो गया और किसी उद्देश्य विशेष की प्राप्ति अथवा आत्मिक और शारीरिक अनुशासन के लिए उठाए जानेवाले दैहिक कष्ट को तप कहा जाने लगा।
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मगर इसका रूढ़ार्थ क्या है? “ विलक्षण ” या “ विस्मयकारी ” या “ चमत्कारी ” और आप कितना भी ढूँढें, इस अर्थ के अलावा इस शब्द का प्रयोग लगभग नगण्य मिलता है।
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इस बीच ही आटोमोबाइल व अन्य मशीनों, पंखा, ट्रैक्टर आदि की उपलब्धता बढ़ी और दाम भी अधिक लोगों की पहुँच में आ गए-तो “ बियरिंग ” के संज्ञा रूप से लोग परिचित हुए और अब रूढ़ार्थ यही है।
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रूढ़ार्थ का कमाल देखिए-अक्सर ब्लॉग पर टिप्पणीकर्ता, जो तेज़ी में रहते हैं, कई जगह और भी जाना है उन्हें ; “ उम्दा ” “ अति सुन्दर ” “ नाइस ” “ ग़ज़ब! ” से काम चला लेते हैं।