ऊपर के वाक्य में “ मैं ” को प्रकट करने के लिये “ वाताकुशि ” में कोई रूपपरिवर्तन नहीं हुआ है।
12.
अपने मूल स्वरूप में यह अरबी का फतीलः शब्द है जिसका वर्णविपर्यय की क्रिया के चलते रूपपरिवर्तन हुआ और यह फलीतः बन गया।
13.
यह माइटोकॉण्ड्रिया का ही एक विशेष रूप है अथवा केवल धानी के रूपपरिवर्तन से बनता है अथवा केवल एक कृत्रिम द्रव्य है, इस संबंध में विद्वानों में अब भी मतभेद है।
14.
इस शब्द का संस्कृत से प्राकृत होते हुए हिन्दी तक रूपपरिवर्तन कुछ यूं रहा इष्टिका > इष्टका > इट्टिगा > इट्टी > ईंट यानी आजकल भवननिर्माण के काम आनेवाली प्रमुख आधार सामग्री।
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इस शब्द का संस्कृत से प्राकृत होते हुए हिन्दी तक रूपपरिवर्तन कुछ यूं रहा इष्टिका > इष्टका > इट्टिगा > इट्टी > ईंट यानी आजकल भवननिर्माण के काम आनेवाली प्रमुख आधार सामग्री।