नेत्र में ट्यूमर और गुहा, त्वग्पुटी की तरह सौम्य, या र्हब्दोम्योसर्कोमा और रेटिनोब्लास्टोमा की तरह घातक हो सकता है.
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रेटिनोब्लास्टोमा के बाद बच्चों में नेत्र कैंसर का अगला प्रकार मेदुल्लोएपिथेलिओम (दिक्त्योमा) है जो रंजित परितारिका और आंख के उवेया में हो सकता है.
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रेटिनोब्लास्टोमा के बाद बच्चों में नेत्र कैंसर का अगला प्रकार मेदुल्लोएपिथेलिओम (दिक्त्योमा) है जो रंजित परितारिका और आंख के उवेया में हो सकता है.
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यदि परोक्त दिए गए किन्हीं भी लक्षणों से आप का बच्चा पीड़ित हो तो यह आवस्यक नहीं है कि आप के बच्चे को रेटिनोब्लास्टोमा ही हो.
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यह भी सच है कि बहुत से बच्चे आंख के साथ पैदा तो होते हैं लेकिन रेटिनोब्लास्टोमा जैसी बीमारियां उनकी दृष्टि पर धावा बोल देती हैं.
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मां-बाप की आंखों व पारिवारिक इतिहास की जांत भी करनी पड़ती है. डॉ. महिपाल सचदेव का कहना है कि रेटिनोब्लास्टोमा का एक मुख्य कारण आनुवांशिक होता है.
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रेटिनोब्लास्टोमा के लक्षण भेंगापन, आंखों की पुतली का लाल होना, सामान्य से बड़ी पुतली, रंग-बिरंगी पुतली, निम्न दृष्टि या दृष्टि का कम होना, आंखों में सूजन होना.
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सेंटर फार साइट के निदेशक व देश के जाने माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. महिपाल सचदेव के अनुसार दरअसल, रेटिनोब्लास्टोमा आंखों का एक ऐसा कैंसर होता है जो कि छोटे बच्चों की आंखों में एक साथ भी हो सकता है.
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भारत, जहां विश्व की लगभग 16 प्रतिशत जनसंख्या रहती है, वहां 25 से 30 प्रतिशत आंख के कैंसर पाए जा रहे हैं उपचारों की बात करें तो रेटिनोब्लास्टोमा के लिए बहुत से उपचार उपलब्ध हैं जैसे कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी, लेजर थैरेपी, क्रायोथैरेपी, थर्मौथैरेपी, सर्जरी.