उन्होंने बताया कि कम्पोजिट मैटिरियल रॉकेट मोटर भार में हल्की है और इसे निर्मित करना आसान है।
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सबसे भीतरी ठोस परत में मोटर लगी थी, जो दुनिया में अपनी तरह की सबसे बडी रॉकेट मोटर है।
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हाई एनर्जी प्रोपेलेंट के इस्तेमाल में सक्षम रॉकेट मोटर सिस्टम में इस्तेमाल के लिए 8. 5 टन प्रोपेलेंट ग्रेन निर्मित किया जाना था।
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में-डेर Raketen मोटर (रॉकेट मोटर अंतरिक्ष यात्रा के समस्या-) 1928 के अंत में, वह अपने एकमात्र पुस्तक, दास समस्या der Befahrung des Weltraums प्रकाशित बर्लिन.
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रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा प्रक्षेपास्त्र प्रणोदन प्रणाली के लिए एक मीटर व्यास वाली कम्पोजिट मैटिरियल रॉकेट मोटर का विकास तथा स्थैतिक परीक्षण किया गया है।
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ने, अपनी एकमात्र किताब प्रकाशित की, दस प्रॉब्लम देर बेफह्रुंग देस वेल्त्रौम्स-देर रकेतें-मोटर (दी प्रॉब्लम ऑफ़ स्पेस ट्रेवल-दी रॉकेट मोटर), यह अंतरिक्ष में एक सफलता और वहाँ स्थायी मानव उपस्थिति के लिए एक योजना है.
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डीआरडीओ के बयान में बताया गया है कि तीन चरण वाली ठोस रॉकेट मोटर से लैस मिसाइल का ऑटो मोड में दोषरहित प्रक्षेपण किया गया और पूरी तरह पूर्व निर्धारित शैली में अपने समूचे रास्ते का पालन किया और पूर्व निर्धारित चरणों में तीन मोटरों को महासागर में गिराया।
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1928 में हर्मन पोतोच्निक (Herman Potočnik) (1892-1929) ने, अपनी एकमात्र किताब प्रकाशित की, दस प्रॉब्लम देर बेफह्रुंग देस वेल्त्रौम्स-देर रकेतें-मोटर (दी प्रॉब्लम ऑफ़ स्पेस ट्रेवल-दी रॉकेट मोटर), यह अंतरिक्ष में एक सफलता और वहाँ स्थायी मानव उपस्थिति के लिए एक योजना है.
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इस गाढे प्रणोदक को आवश्यक क्युरिंग एजेंट के द्वारा आपेक्षित यांत्रिक गुणों के लिए ठोस रुप दिया जाता है इस प्रकार उत्पादित रॉकेट मोटर को गैर विनाशकारी पीरक्षण पद्वती, जिसमें 15 एमइवी के रेखीय त्वरक यंत्र द्वारा उच्च उर्जा विकरण का उपयोग करके खामियॉं जैसे कि दरारें, जुडाई में अंतर और रिक्त स्थानों का पता लगाने के लिए किया जाता है।