तेईस-चौबीस बरस तक जोंकों के सुख और भोग में पली, लेकिन बाकी सारा जीवन उसने कितनी तपस्या की, कितना कस्ट सहा, उसको सुनकर रोआँ खड़ा हो जाता है।
12.
विचारों की धारा मुड़ी-माना कि राजा के एहसान मुझ पर अनगिनती हैं मेरे शरीर का एक-एक रोआँ उनके एहसानों के बोझ से दबा हुआ है मगर क्षत्रिय कभी अपनी सवारी का घोड़ा दूसरे को नहीं देता।
13.
पाजी परेशान करना दिलचस्प शुरुआत विचार करना धुनकी से रोआँ खरोंचना अपने सौंदर्य से पुरुषों को मोहित करने वाली लुभाना तरसाना नर्म रोयाँ खिझाने वाला तंग करना ललचाना रैली ढीला करना याट्रा करना ताना मारना छेड़खानी एक प्रकार की मछली घटिया समाचारपत्र ढीठ लड़की तंग करना कुत्ते छोड़ना पीछा पड़ना मज़ाक बनाना
14.
बादल का है राज) या जैसे, उस फ़ाख़्ता के बाज़ू के अंदर का रोआँ कोमल उजला नीला (कितना स्वच्छ!) जिसको उस शाम हमने मारा था! * सावन आया है: ख़ूब समझता हूँ मैं सावन की यह पलकें मूँद रही हैं मुझको (सिंह श. ब., प्रतिनिधि कवताएँ)
15.
' ' मेरे बाप ने बड़ी कठिनाई से इतनी सम्पत्ति कमायी थी, एक-एक पैसे के लिए उन्होंने कितनों का रोआँ कलपाया था, छल-कपट करके कितनों का सरबस हरा था, पर इतनी बड़ी सम्पत्ति में से एक पैसा उनके साथ न गया, मैं उनका प्यारा बेटा हूँ, मैं भी आज इसको छोड़कर चला।
16.
जब मेरे हाथ कमजोर थे, और पॉँव में खड़े होने का बूता न था, तब उन्होंने मेरे जुल्म सहे हैं, क्या मैं इनकार कर सकता हूँ? विचारों की धारा मुड़ी-माना कि राजा के एहसान मुझ पर अनगिनती हैं मेरे शरीर का एक-एक रोआँ उनके एहसानों के बोझ से दबा हुआ है मगर क्षत्रिय कभी अपनी सवारी का घोड़ा दूसरे को नहीं देता।
17.
जब मेरे हाथ कमजोर थे, और पॉँव में खड़े होने का बूता न था, तब उन्होंने मेरे जुल्म सहे हैं, क्या मैं इनकार कर सकता हूँ? विचारों की धारा मुड़ी-माना कि राजा के एहसान मुझ पर अनगिनती हैं मेरे शरीर का एक-एक रोआँ उनके एहसानों के बोझ से दबा हुआ है मगर क्षत्रिय कभी अपनी सवारी का घोड़ा दूसरे को नहीं देता।