पर उसकी समस्याओं के प्रति तटस्थता अपनाने से अद्भुत चमत्कार हुआ-उस जननायक का शरीर जो जनसमस्याओं के प्रति अतिरेक संवेदनशीलता से अनेकों आँखों के जगह जगह उभरने से कुरूप व विभत्स हो गया था, अचानक अब रोगमुक्त होना शुरू हो गया, वे कुरूपता की कारण शरीर में उभरी जगह-जगह आँखे धीरे धीरे उसके शरीर से विलुप्त होने लगीं ।