अब पहुँच गए हम टॉप ऑफ़ यूरोप, (११,७८२ फीट) ऊंचाई पर पहुँच कर यहाँ से प्रकृति का और मानव निर्मित कला का उत्क्रस्ट नमूना देखकर रोमांचित होना स्वाभाविक था चारों तरफ बर्फ और बस बर्फ....
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” इसमें यह जिक्र करना आवश्यक न समझा कि मेरी बेटी की एक सहेली भी आयी थी, शिवानी लोढा! कभी महाराष्ट्र से बाहर न निकली थी, सो वह आई थी यू. पी. का ज़लाल देखने! जो भी देखा हो, पर उसका रोज सुबह घूम घूम कर पेड़ पर लटके शरीफ़े, पकते अमरूद और बचे खुचे करौंदों को देख देख रोमांचित होना, मुझे आह्लादित करता था..