झारखंड में खनन कंपनियों ने 2010-11 में 204. 46 लाख टन लौह अयस्क का डिस्पैच किया, जिसमें लंप्स और फाइंस दोनों शामिल हैं.
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प्रदेश से इस वित्तीय वर्ष में 2290 करोड़ का लौह अयस्क बेचा गया, जिसमें 1,877 करोड़ के लंप्स और 413.54 करोड़ के फाइंस शामिल है.
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जबकि उत्खनन होने वाले लौह अयस्क में 70 फीसदी हिस्सा फाइन्स के रूप में ही निकाला जता है, जबकि शेष 30 फीसदी लंप्स के रूप में निकलता है।
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7. 2 करोड़ टन क्षमता वाला घरेलू इस्पात उद्योग मुख्य रूप से लंप्स का इस्तेमाल करता है, क्योंकि उसके पास चीन की तरह फाइंस के शोधन की प्रौद्योगिकी नहीं है।
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नई अधिसूचना से फाइंस अब लंप्स की श्रेणी में आ जाएगा और उसी के भाव से फाइंस को बेचा जाएगा, जबकि सरकार को फाइंस के आधार पर ही रॉयल्टी मिलेगी.
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निजी कंपनी अपने 18 लाख टन फाइंस के स्टॉक को लंप्स के भाव पर बेचती है, तो उसे 540 करोड़ रूपये मिलेंगे, जबकि वह राजस्व अगर फाइंस के आधार पर दे तो सरकार को उसे एक करोड़ 44 लाख रुपये ही देने होंगे.
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स्थानीय इस्पात उद्योग ने लौह अयस्क के निर्यात को रोकने का अपना अभियान खत्म भी नहीं किया कि सरकार ने वैश्विक कीमतों में आ रही गिरावट को देखते हुए फाइन्स पर लगने वाला निर्यात शुल्क समाप्त कर दिया और ओर लंप्स का शुल्क घटा कर 5 प्रतिशत कर दिया।
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श्रीनिवास ने कहा कि ' अगर उद्योग यह मानता है कि बेस प्राइस ऊंची थी तो उन्होंने ई-नीलामी के लिए रखे गए 3,60,000 टन में से 2,72,000 टन की खरीदारी कैसे की? ' नीलामी में बेस कीमत में 13.5 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है और 63 ग्रेड लंप्स की कीमतों में 53 फीसदी वृद्धि रही।