काच में (अर्थात् शरीर से पृथक्) पोषित की जा सकनेवाली कोशिकाएँ अनेक हैं, जैसे धारिच्छद कोशिकाएँ (एपिथिलियल सेल्स), तंतुघट (फाइब्रोब्लास्ट्स), अस्थि तथा उपास्थि (कार्टिलेज), तंत्रिका (नर्व), पेशी (मसल्) और लसीकापर्व (लिंफनोड्स) की कोशिकाएँ, प्लीहा (स्प्लोन), प्रजन ग्रंथियाँ (गोनद), गर्भकला (एंडोमेट्रियम), गर्भकमल (प्लैसेंटा), रक्त, अस्थिमज्जा (बोन मैरो) इत्यादि।
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यदि पथरी के लिए पित्ताशय निकालने के बाद पित्ताशय के कर्कट रोग का पता चलता है (प्रासंगिक कर्कट रोग) तो अधिकतर समय यकृत का हिस्सा और लसीकापर्व को निकालने के लिए फिर से शल्यक्रिया की ज़रूरत पड़ती है-यह जल्द से जल्द कर देना चाहिए क्योंकि ऐसे मरीज़ो में लंबे समय तक बचाव की सबसे अच्छी संभावना होते है, यहाँ तक कि उपचार की भी।
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यदि पथरी के लिए पित्ताशय निकालने के बाद पित्ताशय के कर्कट रोग का पता चलता है (प्रासंगिक कर्कट रोग) तो अधिकतर समय यकृत का हिस्सा और लसीकापर्व को निकालने के लिए फिर से शल्यक्रिया की ज़रूरत पड़ती है-यह जल्द से जल्द कर देना चाहिए क्योंकि ऐसे मरीज़ो में लंबे समय तक बचाव की सबसे अच्छी संभावना होते है, यहाँ तक कि उपचार की भी।