यह पास में स्थित सर-ए-संग की खानों से लाजवर्द (लैपिस लैज़्यूली) आगे पहुँचाने के लिए स्थापित की गई थी।
12.
कई स्रोतों के अनुसार प्राचीन भारतीय संस्कृति में जिन नवरत्नों को मान्यता दी गई थी उनमें से एक लाजवर्द था।
13.
कोकचा नदी की घाटी में सर-ए-संग खान स्थित है जहाँ से हज़ारों सालों से लाजवर्द (लैपिस लैज़्यूली) निकाला जा रहा है।
14.
आठ उपरस-गंधक, हरताल, मेनसिल, फिटकरी, कसीह, गेरु, लाजवर्द और कुंकुष्ठ आठ उपरस कहलाते हैं।
15.
[1] माना जाता है कि लाजवर्द के अलावा यहाँ से टिन और सोना भी होकर जाता था और संभव है कि मध्य एशिया का और भी माल दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप भेजा जाता हो।
16.
इस आधार या जमीन पर रंग लगाए गए, जो कुछ खनिज रंग थे जैसे गेरू, हिरौंजी, रामरज, कुछ पत्थरों को पीसकर बनाए गए जैसे लाजवर्द और दहने फिरंग, कुछ रासायनिक जैसे हरा ढाबा, आलतां, शंख या जस्ते से बना सफेदा आदि।
17.
[1] २००० ईसापूर्व में अपने चरम पर सिन्धु घाटी सभ्यता ने भी यहाँ के शोरतुगई इलाक़े के पास एक व्यापारिक बस्ती बनाई थी जिसके ज़रिये लाजवर्द भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं तक भी पहुँचाया जाता था।
18.
कक्ष में एक बहुत बड़ी आलमारी थी जिसका एक कोना मणिकाँचन और लाजवर्द से भरा था, और खिड़की के ठीक सामने खड़ी थी अद्भुत ढंग से सजी हुई एक और आलमारी, जिस पर वेनिसी शीशे के कुछ उत्कृष्ट चषक पड़े थे तथा गहरी धारियों वाले सुलेमानी पत्थर का एक जाम था ।