' अधिकतम एनकाउंटर जैसे भी होता है, अब लुका-छिपा न रहा, किन्तु शहीद होने वाले पुलिसकर्मी बहुधा विभागीय वैमनस्य के निस्तारण के तहत या फिर मीडिया और जनता में अपने पिछले निकम्मे अतीत को झुठलाने के शिकार के रूप में अंज़ाम दिया जाता है ' मैं जानता हूँ, कि मैं क्या लिख रहा हूँ, किन्तु मैंने आज तक एक भी शब्द कहीं भी तथ्यहीन नहीं लिखा, यह भी एक सच है!