जो लोग किसी कारण लैक्टोस यानी शुगर मिल्क का सेवन नहीं कर पाते वे भी दही का सेवन कर सकते हैं।
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लैक्टोज़ की मात्रा के कारण की वजह से ही कई बार बच्चे और वयस्क दूध पचा नहीं पाते हैं, इसे लैक्टोस इंटोलरेंस कहते हैं।
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लैक्टोज़ की मात्रा के कारण की वजह से ही कई बार बच्चे और वयस्क दूध पचा नहीं पाते हैं, इसे लैक्टोस इंटोलरेंस कहते हैं।
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लैक्टोज़ की मात्रा के कारण की वजह से ही कई बार बच्चे और वयस्क दूध पचा नहीं पाते हैं, इसे लैक्टोस इंटोलरेंस कहते हैं।
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घी की एक खासियत है कि इसे तैयार करने के दौरान दूध के सभी प्रोटीन निकल जाते हैं जिससे यह लैक्टोस मुक्त हो जाता है।
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लेकिन दूध में जो लैक्टोस यानी कुदरती चीनी होती है, उसकी वजह से बहुत से लोग आइसक्रीम खा नहीं पाते. अब जर्मन वैज्ञानिकों...
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इसमें हेल्दी बैक्टीरिया और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं साथ ही लैक्टोस शरीर में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे आप तुरंत ऊर्जावान हो जाते है।
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नीले मीठे लुपिन के ताकतवर प्रोटीन आइसक्रीम में वैसा ही प्रभाव पैदा कर देते हैं जैसा लैक्टोस दूध से बनी आइसक्रीम में करता है. ”
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सोयादूध उन लोगों के लिये फायदेमंद है जो अन्य दूध में मौजूद शक्कर “ लैक्टोस ” को पचा नहीं पाते उनके लिये सोयादूध एक अच्छा विकल्प है।
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लेकिन अब एशिया और अफ्रीका से भी बड़ी तादाद में लोग आ रहे हैं और लैक्टोस को सहन न कर पाने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है.