| 11. | किसने लिखी होगी ये लोक कविता... शायद किसी को नहीं मालुम?.....
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| 12. | वे चलती चली आ रही होंगी-एक से दूसरे तक सैकड़ों वर्षों से मौखिक लोक कविता बनकर।
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| 13. | लेकिन सालों से ये लोक कविता पीढी दर पीढी लोक की हवाओं में गुंजती रही है।
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| 14. | बाद आँसू लिए घर लौटते थे | यही तो लोक कविता और लोक नाट्य की सबसे बड़ी खूबी है कि
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| 15. | तब कोई आलोचक भी नहीं रहा होगा....लेकिन सालों से ये लोक कविता पीढी दर पीढी लोक की हवाओं में गुंजती रही है।
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| 16. | आँखें तो आपने ' चाय्यै रैगै ब्याल' कह कर ही खोली थीं! आपने कहा था उस दिन गिरदा-”अद्भुत हैं कुमाउँनी लोक कविता की उपमाएँ।
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| 17. | आँखें तो आपने ‘चाय्यै रैगै ब्याल ' कह कर ही खोली थीं! आपने कहा था उस दिन गिरदा-‘‘अद्भुत हैं कुमाउँनी लोक कविता की उपमाएँ।
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| 18. | अब फिर से बाड़मेर में हूँ और सीमान्त जिले की आधुनिक कविता के पोलियोग्रसित रह जाने पर सोचा करता हूँ और लोक कविता के क्षय पर अफ़सोस.
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| 19. | आँखें तो आपने ‘ चाय्यै रैगै ब्याल ' कह कर ही खोली थीं! आपने कहा था उस दिन गिरदा-‘‘ अद्भुत हैं कुमाउँनी लोक कविता की उपमाएँ।
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| 20. | अब फिर से बाड़मेर में हूँ और सीमान्त जिले की आधुनिक कविता के पोलियोग्रसित रह जाने पर सोचा करता हूँ और लोक कविता के क्षय पर अफ़सो स.
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