| 11. | इस बीच उनके ‘ लोरिकी और चनैनी ' जैसे लोक महाकाव्य, पाँच जिल्द हिंदी और अँग्रेज़ी में प्रकाशित हुएँ।
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| 12. | 29 4. चंदेलकालीन लोक महाकाव्य आल्हाः प्रामाणिक पाठ, डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त, प्रकाशक-म.प ् र.
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| 13. | नैनीताल से लेकर काठगोदाम तक के बीच के पर्वतीय क्षेत्र में एक अलिखित लोक महाकाव्य प्रचलित है जिसका नाम है ' मालूसाही'।
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| 14. | इन चारों जगार (आठे जगार, तीजा जगार, लछमी जगार और बाली जगार) की प्रकृति लोक महाकाव्य की है।
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| 15. | इस लोक महाकाव्य में सृष्टि की उत्पत्ति की कहानी है, धान की उत्पत्ति की कहानी है और इसमें वर्षा की भी कहानी है।
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| 16. | बहरहाल, लछमी जगार ज् लोक महापर्व में गाये जाने वाले लोक महाकाव्य लछमी जगार का गायन प्रमुखत: महिलाओं द्वारा किया जाता है।
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| 17. | यहाँ इस लोक महाकाव्य के दसवें अध्याय के कुल 170 पदों में से महज 17 पद (मूल के साथ-साथ हिन्दी अनुवाद भी) प्रस्तुत हैं।
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| 18. | कुल 3734 पदों (26261 पंक्तियों) में समाया यह लोक महाकाव्य कुल 33 अध्यायों में नियोजित है और इसके गायन की कुल अवधि है लगभग 24 घन्टे।
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| 19. | अभी कुछ महीने पहले रमेशचनद्र शाह और मोहन उप्रेती ने दूरदर्शन के लिए ' रमोला ' लोक महाकाव्य की प्रस्तुति अत्यंत कलापूर्ण ढंग से की थी ।
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| 20. | यह ऐसा ' लोक महाकाव्य ' है जिसमें प्रेमाख्यान, वीर-भावना, तांत्रिक चमत्कार, सिद्ध और नाथ-पंथी परम्पराओं का अत्यन्त कुशलता से समावेश किया गया है ।
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