शेष का परिग्रह, संचय या स्वामित्व का लोभ न करके उसे लोक-हित के लिए ही अर्पित करते रहें ।
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मैं अच्युत परमात्मा विभिन्न युगों में लोक-हित की कामना से अवतार लेकर धर्म की मर्यादा को दृढ करता हूं।
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सवाल यह है कि ये बड़े नाम किसके लिए लिख रहे थे, स्वयं के लिए, लोक-हित के लिए।
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शेष का परिग्रह, संचय या स्वामित्व का लोभ न करके उसे लोक-हित के लिए ही अर्पित करते रहें ।
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उनकी पत्रकारिता में पवित्रता, नैतिकता, शुद्धता, सत्यता, लोक-हित, लोक-सेवा, स्वार्थ विसर्जन तथा मानवीयता विद्यमान थी।
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भाषण सम्बन्धी सत्य की परिभाषा होनी चाहिए कि जिससे लोक-हित हो वह सत्य और जिससे अहित हो वह असत्य है ।
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अपने प्रियतम कृष्ण के वियोग का दुख सह कर भी वे लोक-हित की कामना करती हैं-प्यारे जीवें जग-हित करें, गेह चाहे न आवें।
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अपने प्रियतम कृष्ण के वियोग का दुख सह कर भी वे लोक-हित की कामना करती हैं-प्यारे जीवें जग-हित करें, गेह चाहे न आवें।
19.
हाय, हाय! मैंने उन्हें गुहा-वास दे दिया लोक-हित क्षेत्र से कर दिया वंचित जनोपयोग से वर्जित किया और निषिद्ध कर दिया खोह में डाल दिया!!
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जैसे सूर्य स्वभाव से प्रकाश फैलाने के लिए विवश है और चाहकर भी अंधेरा नहीं बिखेर सकता है वैसे सन्त सहज भाव से निस्पृह होकर लोक-हित में निरन्तर निरत रहता है।