किसी वस्तु या धन का लोभ करना मनुष्य की आम फितरत है, जो झगडों की जड़ बनती है.
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मैं समझता हूं कि लोभ करना और अधिकाधिक भौतिक संपदा बटोरना मनुष्य की निसर्ग से जन्मी स्वाभाविक वृत्ति है ।
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फिर उस बीमारी में लोभ इकट्ठा होता है, क्योंकि मुझे बचाना है अपने को, तो लोभ करना पड़ता है।
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' ' प्रभास हँसकर बोले-‘‘ देवी! औरों की प्यारी वस्तु को देखकर लोभ करना और उसे अनाधिकार पाने की चेष्टा करना पाप है।
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झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना, दुस्साहस करना, छल-कपट करना, मूर्खतापूर्ण कार्य करना, लोभ करना, अपवित्रता और निर्दयता-ये सभी स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं।
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जुआ खेलना और इस तरह से धन का लोभ करना हर तरफ से निंदनीय कहा जाता है, तथा जुआरी लोग लुटने-पिटने के बाद भी दाँव लगाने की प्रवृत्ति नहीं छोड़ पाते हैं क्योंकि यह ऐसी विधा है जिसमें कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती.