अगर कल्पना करें कि यहाँ अभिप्राय कुम्हार के चाक पर रखे मिट्टी के उस लौंदे से है जिससे लोटा गढ़ा जाना है, तब भी कुछ सिद्ध नहीं होता क्योंकि लोष्ट से लोटा बनने की क्रिया दरअसल मिट्टी से पात्र बनने की क्रिया है।
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अगर कल्पना करें कि यहाँ अभिप्राय कुम्हार के चाक पर रखे मिट्टी के उस लौंदे से है जिससे लोटा गढ़ा जाना है, तब भी कुछ सिद्ध नहीं होता क्योंकि लोष्ट से लोटा बनने की क्रिया दरअसल मिट्टी से पात्र बनने की क्रिया है।