काल्पनिक ‘ दोज महारानी ' की आस्थायुक्त यह कथा ईश्वरीय चमत्कारों तथा धार्मिक आग्रह से परे भाई की रक्षा को ले कर बहन की चिन्ता का लौकिक स्वरूप है।
12.
लौकिक स्वरूप में यह बाघ की सवारी करती हुई अष्टभुजाधारी मस्तक पर रत्नजटित स्वर्ण मुकुट वाली एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में कलश लिए हुए उज्जवल स्वरूप की दुर्गा है।