इस तरह, प्राचीन भारत में वर्ग और जाति एक-दूसरे को अतिच्छादित (overlap) करते थे, फ़र्क यह था कि जातियाँ ऐसे वर्ग थीं, जो वंशानुगतता / अन्तःविवाह के कारण अचल थीं, रूढ़ थीं।
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सबसे निचले स्तर के सामंतों में राजतंत्रीय गुण अपेक्षाकृत कम होता है क्योंकि निचले स्तर के चुनाव में स्थानीयता की प्रधानता होती है और जनता को भावनाओं के डंडे से हांक ले जाना आसान नहीं होता फ़िर भी कुछ-न-कुछ वंशानुगतता का गुण वहां भी पाया जाता है.