5. वक्री गति.... पृथ् वी से सापेक्षिक गति कम होने से ग्रह वक्री गति में देखे जाते हैं।
12.
राहु और केतु सदैव वक्री गति करते हुए एक-दूसरे से ठीक 1800 अंश की रेखीय दूरी पर रहते हुए सूर्य के चक्कर लगाते हैं।
13.
मालविकागिन्मित्रम्में विदूषक राजा से कहता है, चलिए हम लोग निकल चलें कहीं मंगलग्रह के समान वक्री गति से चलता हुआ वह पुन:पिछले राशि पर न आ जाए।
14.
मालविकागिन्मित्रम्में विदूषक राजा से कहता है, चलिए हम लोग निकल चलें कहीं मंगलग्रह के समान वक्री गति से चलता हुआ वह पुन:पिछले राशि पर न आ जाए।
15.
मालविकागिन्मित्रम्में विदूषक राजा से कहता है, चलिए हम लोग निकल चलें कहीं मंगलग्रह के समान वक्री गति से चलता हुआ वह पुन: पिछले राशि पर न आ जाए।
16.
चैत्र मास में (14 मार्च से 13 अप्रैल) गुरु, मीन राशि में अतिचार होकर संचार कर रहा है जबकि क्रूर ग्रह पहले से वक्री गति से संचारित हैं।
17.
पृथवी के सापेक्ष ग्रहों की स्थिति का जब हम अधययन करते हैं, तो हम पाते हैं कि ये कभी तेजी से कभी धीमें, तो कभी वक्री गति में चलते हैं।
18.
शनि-वर्तमान में सिंह राशि में होकर, वक्री गति से 7 डिग्री तक पीछे आ गये हैं, 3 मई से मार्गी हो जायेंगे और आगे बढ़ना दोबारा शुरू करेंगे ।
19.
सारी की सारी धनु महिलाएं इतनी कमजोर तो नहीं हैं, लेकिन जिन महिलाओं का वृहस्पति वक्री गति वाला नहीं है, उनके लिए यह संचार देश दुनिया और राशियों के लिए बहुत अच्छा नहीं माना गया है।
20.
मार्गी गति में जब अस्त होता है तो लगभग दो माह के लिए अस्त हो जाता है जबकि वक्री गति में अस्त होने पर यह कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 दिनों के लिए अस्त होता है।