इस दौर में “ पयोधर ” अतिरिक्त रूप से विकसित हो रहें हैं, पीन-स्तनी हो रहीं हैं युवतियां, वक्ष प्रदेश फ़ैल रहा है तो इसका कारण महज़ उनका मुटियाना भर नहीं है.
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क्या पूर्व-माहवारी-संलक्षण, मासिक चक्र से पहले होने वाली तकलीफों के दरमियान महिलाओं के वक्ष स्थल, वक्ष प्रदेश, स्तनों का आकार इतना तबदील हो जाता है कि कुछ को चोलियों का एक जोड़ा ही सुविधा के लिए रखना मजबूरी हो जाता है अलग अलग साइज़ की. है.
13.
मेदो घ्राणं च जिह्वा च कफस्य सुतरामुरः ॥ (अ ० स ० सू ० १ २ / ३) अर्थात् उरः प्रदेश, कण्ठ शिर, क्लोम पर्व (अंगुलियों के पोर), रस मेद घ्राण (नाक) और जिह्वा ये कफ़ के स्थान है, उनमें भी उरः प्रदेश श्लेष्मा का विशेष स्थान है, अर्थात् अन्य स्थानों की अपेक्षा श्लेष्मा वक्ष प्रदेश में विशेष रूप से पाया जाता है ।।