| 11. | स् वयम् को सुधारने में, जिम् मेदार बनाने में प्राणलेवा कष् ट उठाने पडेंगे ।
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| 12. | प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता इमे सादरं त्वां नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
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| 13. | (तस्य सवितुः देवस्य वरेण्यं भर्गः (वयम्) धीमहि यः नः धियः प्रचोदयात् ।)
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| 14. | आप स् वयम् जानती है कि यह न तो उचित है और न ही सम् भव।
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| 15. | प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता इमे सादरं त्वां नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयम् शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
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| 16. | इसलिए यह स् वाभाविक है कि कोई भी शुरुआत स् वयम् से ही की जा सकती है।
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| 17. | बडी कठिनाई से स् वयम् को संयत किया है और यह टिप् पणी लिख रहा हूं ।
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| 18. | हमारे वेदों ने भी ईशानाधिपति की स्तुति करते हुए कहा है-तमीशानं जगतस्तस्थुषस्पतिं धियन्जिन्वमवसे हूमहे वयम् ।
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| 19. | किन् तु हमारा नियन् त्रण केवल स् वयम् तक ही सीमित है, दूसरों पर नहीं ।
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| 20. | स् वयम् का व् यवहार देखो कहना कविता नहीं है ये तो बातचीत हो सकती है ।
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