(१) संकलन (जोड़) (२) व्यवकलन (घटाना) (३) गुणन (गुणा करना) (४) भाग (भाग करना) (५) वर्ग (वर्ग करना) (६) वर्ग मूल (वर्ग मूल निकालना) (७) घन (घन करना) (८) घन मूल (घन मूल निकालना) ।
12.
२०० ई. के बीच, जयना गणितज्ञों ने मात्र गणित के उद्देश्यों के लिए गणित का अध्ययन शुरू किया.वे पहले लोग थे जिन्होंने पारपरिमित संख्याओं (transfinite numbers), समुच्चय सिद्धांत, लघुगणक, सूचकांकों के मूल नियम (indices), घन समीकरण (cubic equation), द्विघात समीकरण (quartic equation), अनुक्रम (sequences), और उन्नयन, क्रमचय और संचय (permutations and combinations), वर्ग करना और वर्ग मूल (square root)निकालना, और परिमित और अपरिमित (infinite) घातों (powers)का विकास किया.
13.
विद्वन! भिन्न संख्या के भाग में भाजक के हर और अंश को परिवर्तित कर यानी हर को अंश और अंश को हर बना कर फ़िर भाज्य के हर अंश के साथ, गुणन क्रिया करनी चाहिये, इससे भागफ़ल सिद्ध होता है, भिन्नांक के वर्गादि साधन में यदि वर्ग करना हो, तो हर और अंश दोनो का वर्ग करे, और घन करना हो तो दोनो का घन करे, इसी प्रकार से वर्गमूल निकालना हो तो दोनो का वर्गमूल निकाले, और घनमूल निकालना हो तो दोनो का घनमूल निकाले.