पूँजीवादी विकास के प्रारम्भिक दिनों में ट्रेड यूनियनों का बनना मज़दूर वर्ग के लिए एक भारी प्रगतिशील क़दम था, क्योंकि उनके ज़रिए मज़दूरों की फूट तथा निस्सहाय अवस्था का अन्त हुआ था और उनके वर्ग संगठन के प्रारम्भिक रूपों की नींव पड़ी थी।
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ट्रेड यूनियन के प्रति सर्वहारा दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए लेनिन ने कहा ‘ पूँजीवादी विकास के प्रारंभिक दिनों में ट्रेड यूनियनों का बनना मजदूर वर्ग के लिए एक भारी प्रगतिशील कदम था, क्योंकि उनके जरिए मजदूरों की फूट दूर हुई थी, उनकी निस्सहाय अवस्था का अंत हुआ था और उनके वर्ग संगठन के प्रारंभिक रूप पैदा हुए थे ।
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मानिकलाल मनके स्मृति शिक्षा प्रसार समिति में बी. एल. भास्कर, पंचशील शिक्षा प्रसार समिति में एम. डी. वर्मा, बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान एवं अन्जुमन इत्तिहादे कौम में नश्तर भारती, विकास संग्राम समिति में राजेन्द्र कुमार सक्सेना, अखिल भारतीय अन्य पिछड़ा वर्ग संगठन रेल कर्मचारी मण्डल ओ.ब ी. सी. में विद्यालाल यादव व बसपा में पूर्व पार्षद सुरेशचन्द्र गोपी की अध्यक्षता में हुयी संगोष्ठियों में बाबा साहेब के जीवन पर प्रकाश डालते हुये उनके आदर्शो को अपनाने पर बल दिया गया।