यह इसलिए कि वर्णक्रमदर्शी पदार्थ की भौतिक अवस्था के विषय में तभी सूचना दे सकता है जब यह पदार्थ दीप्तिमान गैस के रूप में हो।
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यह इसलिए कि वर्णक्रमदर्शी पदार्थ की भौतिक अवस्था के विषय में तभी सूचना दे सकता है जब यह पदार्थ दीप्तिमान गैस के रूप में हो।
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यह इसलिए कि वर्णक्रमदर्शी पदार्थ की भौतिक अवस्था के विषय में तभी सूचना दे सकता है जब यह पदार्थ दीप्तिमान गैस के रूप में हो।
14.
यदि वर्णक्रमदर्शी की विभेदन-क्षमता काफ़ी अधिक हो तो चुंबकीय क्षेत्र में रखे प्रकाश स्त्रोत की प्रत्येक वर्णक्रम रेखा कई घटक रेखाओं में विभाजित हो जाती है।
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यदि वर्णक्रमदर्शी की विभेदन-क्षमता काफ़ी अधिक हो तो चुंबकीय क्षेत्र में रखे प्रकाश स्त्रोत की प्रत्येक वर्णक्रम रेखा कई घटक रेखाओं में विभाजित हो जाती है।
16.
अति समीप के नक्षत्रों का वार्षिक लंबन सूर्य के सापेक्ष निजी गति के ज्ञान द्वारा, युग्म तारों का गतिशास्त्र द्वारा तथा शेष का वर्णक्रमदर्शी विधि द्वारा ज्ञात किया जाता है।
17.
खगोलीय पिंडों से जो प्रकाश आता है वह उसके आंतरिक भागों में उत्पन्न होता है, फिर भी उन भागों की रचना के विषय में वर्णक्रमदर्शी की सहायता से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
18.
खगोलीय पिंडों से जो प्रकाश आता है वह उसके आंतरिक भागों में उत्पन्न होता है, फिर भी उन भागों की रचना के विषय में वर्णक्रमदर्शी की सहायता से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
19.
इन काली रेखाओं के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि श्वेत प्रकाश किस किस गैस में गमन करके वर्णक्रमदर्शी तक पहुँचा है तथा उसके गैस परमाणु किस भौतिक अवस्था में हैं।
20.
इन काली रेखाओं के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि श्वेत प्रकाश किस किस गैस में गमन करके वर्णक्रमदर्शी तक पहुँचा है तथा उसके गैस परमाणु किस भौतिक अवस्था में हैं।