पाणिनि से पूर्ण प्रभावित होकर ब्लूमफील्ड (अमरीका) ने सन् १९३२ ई. में 'लैंग्वेज' नामक अपना ग्रन्थ प्रकाशित करवाकर वर्णनात्मक भाषाविज्ञान के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।
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इन दोनों कृतियों में आन्तरिक संरचना पर ही (विशेष) बल दिया गया है. सामान्यतः वर्णनात्मक भाषाविज्ञान के क्षेत्र में ध्वनि-विज्ञान, रूपविज्ञान तथावाक्य विज्ञान को रखा जाता है.