अगर दूसरा नमूना चाहो तो मूसा कलीमुल्लाह हैं, कि जिन्हों ने अपने अल्लाह से कहा कि “ परवरदिगार! तू जो कुछ भी इस वक़्त थोड़ी बहुत नेमत (वर्दान) भेज देगा, मैं उसका मोहताज हूँ।
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2. कोलेस् ट्राल संतुलन-डॉक् टरों का कहना है कि यह हार्ट रोगियों के लिए एक वर्दान के समान है जिसे वह रोज अपने भोजन में खा कर अपने बढे हुए कोलेस् ट्रॉल लेवल को कम कर सकता है।
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अल्लाह तआला भी उन लोगों से प्रेम करता है जो अच्छे चरित्र वाले होते हैं, और अल्लाह की ओर से मानव को सब से उत्तम चीज़ वर्दान की जाती है वह अच्छे व्यवहार, सुन्दर आचार और बेह्तरीन चरित्र है।
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और उन्हें बताया गया तो वह सब कुछ समझ गए और वक़्त दिया गया तो उन्हों ने वक़्त गफ़लत (निशचेतना) में गुज़ार दिया, और सहीह व सालिम रखे गये तो इस नेमत (वर्दान) को भूल गए।
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बहुत से वह जिन्हें नेमतें (वर्दान) मिली हैं, नेमतों (वर्दानों) की बदौलत कम कम अज़ाब (प्रताणना) के नज़दीक (निकट) किये जा रहे हैं, और बहुत सों के साथ फ़क़्रो फ़ाक़ा (दरिद्रता व उपवास) के पर्दे में अल्लाह का लुत्फ़ो क़रम (दया एवे कृपा) शामिल होते हैं।
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216. बेशक (निस्सन्देह) अल्लाह तआला के लिये हर नेमत (प्रत्येक वर्दान) में एक हक़ (यथार्थ) है, तो जो उस हक़ (अधिकार) को अदा करता है, अल्लाह उस के लिये नेमत (वर्दान) को और बढ़ाता है, और जो कोताही (शिथिलता) करता है वह मौजूदा नेमत को भी ख़तरे में डालता है।
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216. बेशक (निस्सन्देह) अल्लाह तआला के लिये हर नेमत (प्रत्येक वर्दान) में एक हक़ (यथार्थ) है, तो जो उस हक़ (अधिकार) को अदा करता है, अल्लाह उस के लिये नेमत (वर्दान) को और बढ़ाता है, और जो कोताही (शिथिलता) करता है वह मौजूदा नेमत को भी ख़तरे में डालता है।
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88. कितने ही लोग ऐसे हैं जिन्हें नेमतें (वर्दान) दे कर रफ़्ता रफ़्ता (शनै: शनै:) अज़ाब का मुस्तहक़ (दण्ड का पात्र) बनाया जाता है, और कितने ही लोग ऐसे हैं जो अल्लाह की पर्दापोशी (गोपनीयता) से धोका खाए हुए हैं, और अपने बारे में अच्छा अल्फ़ाज़ (शब्द) सुन कर फ़रेब (धोके) में पड गए हैं, और मोहलत देने से ज़ियादा अल्लाह की जानिब (ओर) से कोई बड़ी आज़माइश (परीक्षा) नहीं है।