पशुधन एवं वर्षा आधारित कृषि के विशेषज्ञ एन. जी. हेगड़े का कहना है कि पशुधन को वैश्विक तापमान वृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन से कम नुकसान पहुंचेगा अतएव इसे वर्षा आधारित खेती से अधिक विश्वसनीय माना जा सकता है ।
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दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में, खासकर वर्षा आधारित कृषि वाले क्षेत्रों में मानसून की अनियमितता और जोखिम कम करने की उचित नीतियों के अभाव में वर्षा आधारित कृषक वर्ग को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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एकार्डिग टू कीरातर्जुनियम दुर्योधन जुऐ में जीती गई पृथवी को अब न्याय से जीतना चाहता है, यहाँ तक कि उसले प्रशासन को इतना चौकस कर दिया था कि उसके राज्य में वर्षा आधारित कृषि न हो कर नदीधारित खेती होने लगी है।
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वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र विशेषकर ढलान वाले पहाड़ी क्षेत्र में मिट्टी को बहने से रोकने के साथ में जल संग्रह हेतु ट्रेंच-नालियां, तलैया, कुओं, पोखर-तालाब की श्रृंखला ऊंचे क्षेत्र में बने, याने 'रिज' पर इन उपायों से पहाड़ी क्षेत्र, वर्षा आधारित क्षेत्र के छोटे, लघु कृषक अप्रत्याशित मौसम सूखा या अधिक वर्षा होने पर भी सामान्य उत्पादन ले सकेंगे।