जैसे दीमक जब उड़नेवाली अवस्था में अपने वल्मीक से हज़ारों की संख्या में निकलती हैं तब उस शाही भोज के लिए सहज ही 15-20 जातियों के सैकड़ों पक्षी इकट्ठे हो जाते हैं।
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कहा जाता है कि तपस्या करते-करते आपके शरीर पर दीमक की बांबिया बन गईं थीं, संस्कृत में दीमक की बांबी को वल्मीक कहते हैं, अतः वल्मीक से ढका होने के कारण लोग आपको वाल्मीकी कहने लगे।
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कहा जाता है कि तपस्या करते-करते आपके शरीर पर दीमक की बांबिया बन गईं थीं, संस्कृत में दीमक की बांबी को वल्मीक कहते हैं, अतः वल्मीक से ढका होने के कारण लोग आपको वाल्मीकी कहने लगे।