अदालत में वसीयत को साबित करते समय गवाहों का केवल इतना कहना ही पर्याप्त है कि उन्हों ने वसीयत पर वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर या निशान देखे थे और स्वयं के हस्ताक्षर वसीयतकर्ता की उपस्थिति में किए थे।
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अदालत में वसीयत को साबित करते समय गवाहों का केवल इतना कहना ही पर्याप्त है कि उन्हों ने वसीयत पर वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर या निशान देखे थे और स्वयं के हस्ताक्षर वसीयतकर्ता की उपस्थिति में किए थे।
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अदालत में वसीयत को साबित करते समय गवाहों का केवल इतना कहना ही पर्याप्त है कि उन्हों ने वसीयत पर वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर या निशान देखे थे और स्वयं के हस्ताक्षर वसीयतकर्ता की उपस्थिति में किए थे।
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अदालत में वसीयत को साबित करते समय गवाहों का केवल इतना कहना ही पर्याप्त है कि उन्हों ने वसीयत पर वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर या निशान देखे थे और स्वयं के हस्ताक्षर वसीयतकर्ता की उपस्थिति में किए थे।
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जस्टिस जीएस सिंघवी और अशोक कुमार गांगुली की बेंच ने कहा कि संशोधित वसीयत से लाभ पाने वाले को इस बारे में ठोस साक्ष्य देना चाहिए कि वसीयतकर्ता ने मूल दस्तावेज में ऐसे संशोधन भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के नियमों के अनुसार किए हैं।
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लिविंग ट्रस्ट का सिद्धांत अपनाते समय यह देखा जाता है कि वसीयतकर्ता ने अपनी पूरी जि़दगी में एक ट्रस्ट बनाया हो या फिलहाल एक या उससे अधिक ट्रस्ट हों जो लाभ पाने वालों के हित के लिए वर्तमान समय में भी चल रहा हो।
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किसी वसीयत की विश्वसनीयता पर इस आधार पर संदेह नहीं किया जा सकता कि वसीयतकर्ता ने पारिवारिक संपत्ति में ' कृतघ्न संतान' को हिस्सा देने से मना कर दिया और सारी संपत्ति उस बेटे के नाम कर दी जिसने बूढ़े मां-बाप की मृत्युपर्यत देखभाल की।
18.
या इच्छनुसार वस्तु नहीं मिली है, वे वसीयत को इस आधार पर विवाद के घेरे में ला सकते हैं कि, वसीयत बल-प्रयोग द्वारा लिखायी गयी है या इसे करते समय वसीयतकर्ता की दिमागी दशा ठीक नहीं थी या इसे लिखते वक्त वसीयत करने वाला नशे की हालत में था।
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इसी प्रकार से यदि सन्तोष कुमार द्वारा कथित खरीदी गई भूमि की कोई वसीयत पंजीकृत की जाती है तो वसीयत एक एग्रीमेन्ट है और जिसके पक्ष में वसीयत की जा रही है उसकी सहमति वसीयत निष्पादित करने में आवष्यक नहीं है और वसीयत वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद ही प्रभाव में आती है।
20.
विद्वान अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष दाखिल एक अन्य अभिलेख 7ग-7 ता 7ग-12 श्रीमती सन्तोष देओल वर्तमान अपीलार्थी द्वारा निष्पादित वसीयतनामे की सत्यापित प्रति है, जिसके चौथे पैरे में यह अंकित है कि वसीयतनामे के अन्त में सूची में वर्णित सम्पत्ति वसीयतकर्ता के दिवगंत पति श्री विक्रमाजीत द्वारा स्वंय की अर्जित की गयी सम्पत्ति थी और वसीयतकर्ता के पति की मृत्यु के पश्चात वह वर्णित सम्पत्ति की एक मात्र तनहा स्वामी/काबिज/मालिक है और तदनुसार नगर निगम अभिलेखों में बतौर स्वामी दर्ज है।