वसीयती व्यवस्था की शक्ति मूलतः निवल जागीर (भू-संपदा) की एक तिहाई तक ही सीमाबद्ध है (अर्थात् मृत व्यक्ति के कर्जों और अंतिम संस्कार के खर्चों की भुगतान के बाद बची परिसंपत्तियों), परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए तय शेयरों का न केवल पत्नियों और बच्चों में ही बल्कि पिता और माता को भी आवंटित कर.
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ऐसे किसी भी मामले में उधारकर्ता बंधक रखी संपत्ति की वसीयती स्थिति अपने किसी संबंधी के पक्ष में प्रकट करेगा, जो कि ऐसे वसीयतदार द्वारा बंधक ऋण चुकाया जाने और एक ऐसे विवरण के अध्यधीन होगा कि वारिस बंधक की विधिमान्यता को और इसी प्रकार उधारकर्ता की मृत्यु की स्थिति में बंधक के प्रवर्तन के लिए बंधकग्राही के अधिकार को तब तक चुनौती देने का हकदार नहीं होगा जब तक कि वैध प्रतिनिधि ऋण मी पूरी राशि और उस पर प्रोद्भूत ब्याज चुकाने का दायित्व लेने की इच्छा प्रकट नहीं करता है ।