वहन लेखा में (१) उन सभी संक्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है, जिनमें कम से कम दो इकाइयां क्रियाशील हों.
12.
नबल रूप से परि-~ मापनकरने पर, व्यवहार के अन्य पक्षों से संबद्ध संकियायें निधि वहन लेखा मेंदृष्टिगत नहीं की जा सकती.
13.
उपरोक्त उप-~ संक्रियाओंअथवा द्वितीयक संक्रियाओं के आधार पर निधि वहन लेखा के प्रस्तुतीकरण केउपरांत एक अन्य (३) सिद्धांत का भी अनुसरण किया जाता है.
14.
इस प्रकार का निधि वहन लेखा करेंसी, निक्षेप, बैंकों द्वारा प्रदत्त ऋण, केंद्रीय बैंक के दायित्वों, विभिन्न स्तर परसरकारी दायित्वों हेतु प्रस्तुत किया जा सकता है.
15.
यही विधि वहन लेखा के समयवाचकीय पक्ष का आधार है. प्रत्येक प्रकार की संक्रिया में समय पक्ष का निर्धारण, वस्तुतः विश्लेषणके उद्देश्य पर आधारित होता है.
16.
इस पद्धति का यह लाभ है कि आवश्यकतानुसारनिधि वहन लेखा को विभिन्न परिभाषाओं (जैसे बचत एवं विनियोग) के आधार परलेखा को सुविधानुसार पुनः वर्गीकृत किया जा सकता है.
17.
यदि लेखा केविवरण में इस प्रका र से समसामयिक रूप से लेखा प्रस्तुत न किया जाता तो, निधि वहन लेखा में विरोधाभास (अथवा असंतुलन) उत्पन्न होने की संभावनाहोती है.
18.
संक्रिया एवं संक्रियकर्ताओं का अनुप्रस्थ वर्गीकरणअंतर-क्षेत्रीय निधि वहन लेखा में भुगतानकर्ता एवं भुगतान प्राप्तकर्त्ताइकाइयों को पृथक रूप से निर्दिष्ट किया जाता है अतएव संक्रियाओं काउल्लेख आर्थिक प्रक्रिया के स्वभाव, एवं संक्रिया से संबद्ध क्षेत्रदोनों ही दृष्टिकोण से आवश्यक होता है.