नामवरजी तो खैर वाक्छल से खुद को बरी कर लेंगे और फिर उनके चेलों की लंबी जमात भी तो है।
12.
' ' गुरू नानक सत्य के पुजारी थे और उन्होंने धर्म का विवेचन करने के लिए जो कुछ कहा है, वह आडंबरयुक्त वचनों और वाक्छल से रहित है।
13.
समीक्षा-वाह भई वाह क्या वाक्छल है तुम्हारा, तुमने अपनी पुस्तक ऐसे लिखी हैं कि “ कहीं की ईट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा ”.
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वाक्छल-विविधार्थक पद के प्रयोग करने पर वक्ता के विवक्षित अर्थ से भिन्न अर्थ को लेकर जो निषेध किया जाता है उसे वाक्छल कहते [82] हैं।
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वाक्छल-विविधार्थक पद के प्रयोग करने पर वक्ता के विवक्षित अर्थ से भिन्न अर्थ को लेकर जो निषेध किया जाता है उसे वाक्छल कहते [82] हैं।
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समीक्षा-वाह भई वाह क्या वाक्छल है तुम्हारा, तुमने अपनी पुस्तक ऐसे लिखी हैं कि “ कहीं की ईट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा ”.
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जहाॅ भी उन्हें लोक के हित की चीजें मिलती हैं उसे ग्रहण करते जाते हैं तथा वाक्छल को उद्घाटित करते हुए उसके द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करते हैं।
18.
कविता और आलोचना के क्षेत्र में आये वाक्छल जिसने साहित्य को आम आदमी के यथार्थ से अलग कर समाज में विभ्रम की स्थिति पैदा की, को उद्घाटित करने से वह कहीं और कभी नहीं चूकते हैं।
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कविता और आलोचना के क्षेत्र में आये वाक्छल जिसने साहित्य को आम आदमी के यथार्थ से अलग कर समाज में विभ्रम की स्थिति पैदा की, को उद्घाटित करने से वह कहीं और कभी नहीं चूकते हैं।
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हिंदी छंद शास्त्र के अनुसार तो अर्थ की भ्रान्ति उत्पन्न करने वाली कविता में वाक्छल दोष माना जाता है, उर्दू शायरी तो इस से भी कई कदम आगे जाकर केवल और केवल स्पष्ट कथन की ही मांग करती है.