वरुण गांधी की गिरफ्तारी के बाद मायावती और मेनका गांधी के वाग्युद्ध के बारे में पढ़ने के बाद से ही मैथिलीशरण गुप्त के प्रबंध काव्य ' साकेत' की यह पंक्ति बार-बार याद आ रही है-माता न कुमाता पुत्र कुपुत्र भले ही।
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राग दरबारी माता न कुमाता, पुत्र कुपुत्र भले ही वरुण गांधी की गिरफ्तारी के बाद मायावती और मेनका गांधी के वाग्युद्ध के बारे में पढ़ने के बाद से ही मैथिलीशरण गुप्त के प्रबंध काव्य 'साकेत' की यह पंक्ति बार-बार याद आ रही है-माता न कुमाता पुत्र कुपुत्र भले ही।
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इसका एक और धारदार प्रमाण उन्हीं की एक और कहानी-और क्या, ' मूतरी '-में मिलता है, जहाँ कथानायक हिन्दू-मुसलमानों के बीच वाग्युद्ध अर्थात माँ-बहन का उपसंहार एक तटस्थ क़िस्म के जुमले में हुआ देख कर उस दुर्गंधित माहौल में खुशबू के अहसास से तर होकर बाहर निकलता है।